- लक्ष्मण सिंह नेगी/केदारखण्ड एक्सप्रेस
द्वितीय केदार भगवान मद्दमहेश्वर मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। बम बम बोले के जयकारों के साथ ही सैकड़ों भक्त इस पल के साक्षी बने। अगले छ माह भगवान की पूजा अर्चना उखीमठ स्थिति ओंकारेश्वर मंदिर में सम्पादित होगी।
विधि-विधान, मंत्रोच्चार के साथ तीर्थ पुरोहितों-हक हकूकधारियों की मौजूदगी में आज सुबह 11 बजे द्वितीय केदार मद्दमेहश्वर के कपाट बंद कर दिए गए है। इससे पूर्व सुबह आठ बजे भगवान मद्दमहेश्वर की विशेष पूजा अर्चना के बाद मुख्य पुजारी बागेश लिंग ने बाबा के स्वयंभू लिंग को समाधि दी। मद्दमहेश्वर की भोग मूर्तियों की चल विग्रह उत्सव डोली में विराजमान किया गया जिसके बाद उत्सव डोली ने मंदिर की परिक्रमा कर अपने शीतकालीन पड़ाव के लिए रवाना हुई। बाबा की उत्सव डोली आज अपने पहले पड़ाव गौंडार गांव में रात्रि विश्राम करेंगी। इसके बाद 22 तारीख को द्वितीय पड़ाव राकेश्वरी मंदिर रांसी गांव, 23 को गिरिया गांव और 24 नवम्बर को अपने शीतकालीन गद्दीस्थल उखीमठ स्थिति ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होगी। यही पर शीतकाल के छ माह भगवान मद्दमहेश्वर की पूजा अर्चना की जायेगी। इस वर्ष भगवान मद्दमहेश्वर के धाम में 6138 तीर्थ यात्रियों ने माथा टेका। भगवान मद्महेश्वर के अपने शीतकालीन गद्दीस्थल आने पर भगवान के स्वागत में उखीमठ में प्राचीन काल से चले आ रहे भव्य मेले का आयोजन किया जायेगा।
द्वितीय केदार मद्दमहेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए बंद: प्रशासन और सरकारों की उपेक्षा का दंश झेल रहा धाम